Gulzar Love Shayari, गुलज़ार लव शायरी
Gulzar Love Shayari गुलज़ार लव शायरी,गुलज़ार लव शायरी इन हिंदी,गुलज़ार साहब लव शायरी
बहुत लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उन लोगों से कुछ कहने की कोशिश की
ये रात मेरे कानो मै बस इतना कह गयी… ..यार तेरी मोहब्बत तो अधूरी रह गयी !!
मन की पीड़ा को मैं तुमसे कहताऊ कैसे? ऐ इश्क़ बता मे खुद को आत्मनिर्भर बनाऊं कैसे?
वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी,
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ़ किससे माँगते हैं ।।
वह शहर भी तुम्हारा था, वह अदालत भी तुम्हारी थी।
गुलज़ार लव शायरी हँसता तो मैं रोज़ हूँ
हँसता तो मैं रोज़ हूँ
लेकिन खुश हुए ज़माने को गया
उन चीज़ों को जिन्हें हम कहते हैं,
हम भूल गए हैं रख के कहीं।
आप के बाद हर घड़ी हमने कहा
आप के साथ ही गुज़ारी है
बहुत मुश्किल से करता हूँ, तेरी यादों का कारोबार,
मुनाफा कम है, पर गुज़ारा हो ही जाता है
मेरा पूरा दिन सुस्ती में ही बीत जाता है,
पर जब आप से मिलता हूँ तो ये दिल स्वस्थ हो जाता है
शायद ये ही इश्क़ है
गुलज़ार लव शायरी इन हिंदी सहमा डरा
सहमा डरा सा रहता है
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है
यूँ भी इक बार तो ऐसा होता है कि समुंदर बहता है
कोई एहसास तो दरिया की अनाथ होती है
ये रोटियाँ हैं ये संकेतक हैं और दाएरे हैं
ये एक दूजे को दिन भर पकड़ते रहते हैं
गुलज़ार साहब लव शायरी शाम से आँख
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
ये दिल भी दोस्त ज़मीं की तरह
हो जाता है डाँवा-डोल कभी
हम तो समझे थे कि
हम भूल गए हैं वे हैं
क्या हुआ आज ये
कौन सी बात पे रोना आया